जब भी हम अपराध की बात करे तो एक ही सवाल आता है अपराध क्या है?
अपराध जो सोसाइटी peace को खत्म करदेता है, जिससे society में nuisance फैलता है, जिसे अपराध कहा जाता है अपराध केवल एक व्यक्ति के लिए नहीं होता है वह पुरे समाज के लिए होता है या इस का प्रभाव पुरे समाज में पे होता है, इस करण ही इसे हम ............. v. State (For Example) बोलते हैं
अपराध की प्रकृति के आधार पर अपराध के दो प्रकार होते हैं
1. संज्ञेय अपराध (Cognizable Offence) - ये ऐसे Crime हैं जिनके लिए Code Of Criminal procedure 1972 पुलिस प्रशासन को किसी आरोपी व्यक्ति (Accused Person) की गिरफ्तारी वारंट के बिना करने का अधिकार देती है। Code Of Criminal procedure 1972 की पहली अनुसूची, Indian Penal Code और अन्य विधियों के तहत सभी Offences की एक List प्रदान करती है जिन्हें संज्ञेय के रूप में classified किया गया है। ऐसे अपराधों में 2 साल से अधिक की सजा का प्रावधान है. यह अपराध गैर जमानती होता है
2. असंज्ञेय अपराध (Non-cognizable Offence) - ये ऐसे Crime हैं जिनके लिए Code Of Criminal procedure 1972 में पुलिस प्रशासन वारंट के प्राधिकार के बिना किसी आरोपी व्यक्ति (Accused Person) की गिरफ्तारी नहीं कर सकता है। इस अपराध की अधिकतम सजा 2 साल ही है, यह अपराध जमानती होता है
गैर जमानती अपराध में बेल कोर्ट के मर्जी से मिलता है अगर कोर्ट चाहे तभी देगी नही तो वह मना कर सकती है जमानती अपराध में बेल मिलना aacused व्यक्ति का अधिकार है, कोर्ट इसे माना नही कर सकती है
Sandeep Jain v. NCT Delhi (संदीप जैन बनाम एनसीटी दिल्ली) इस केस में संदीप नमक व्यक्ति जिसने एक (bailable offence) जमानती अपराध किया था लेकिन जब वह बेल के लिए apply किया तो कोर्ट ने उस से security 2 लाख रुपए मांगे गए, फिर उसने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर किया तो कोर्ट ने कहा कि bailable offence में कोर्ट उस से पैसे नही मांग सकती है और उसका बेल मंजूर कर लिया
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